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मानस खत्री की यह कविता हमने ई – पत्रिका के सौजन्य से ली है लेकिन यह कविता बड़ी ही विचारणीय है कि किस प्रकार उम्मीदों के बोझ तले हम युवाओं को दबा देते हैं. इस कविता का सार यूं तो सबको समझ आ जाएगा लेकिन इसके पीछे छुपा मूल विचार है “जीवन में जो भी करो वह पूरे दिल से करो.”
इंजीनियर अस्तु 😆
लिखा-पढ़ा जो Science में Engineer ही बनना है,
हर माँ-बाप की बस यही तमन्ना है।
अपने कुल का झंडा सबसे ऊँचा करना है,
भाई-बहनों से भी अपने आगे बढ़ना है।
दसवीं कक्षा से ही होती शुरू है अपनी Battle
विदेश जा कर ही आखिर सबको होना है Settle
तकनीकी प्रगति में लिखना अगला पन्ना है,
हर माँ-बाप………………………..
B-tech है या कोई Virus या है कोई बीमारी,
एक Football के पीछे पड़ी है दुनिया सारी।
Injection, Tablet, Operation से इलाज होता है,
गलती से जो बने Patient 4 साल रोता है।
अगल-बगल ने फैले Virus रहना चैकन्ना है,
हर माँ-बाप………………………..
Mushroom से खुलते College शहर, गली, चैराहे,
I.I.T. में हो Selection मन सबका यही चाहे।
म्दहपदममतपदह का घोड़ा 55-60 वाले दौड़ाएं,
50 प्रतिशत वाले भी गड़ाएं हैं निगाहें।
चाहे जो भी हो, ताज Engineering का ही पहनना है,
हर माँ-बाप………………………..
बादाम-अखरोट से होगा क्या Physics-Chemistry लगाओ,
Mathematics है महासंकट, हे बजरंगबली बचाओ।
कर लो जाप सभी तुम चाहे संगम में नहाना,
पप्पू होना पास, हमें भी Dairy-Milk खिलाना।
बिन Entertainment के जूस, Student सूखा-गन्ना है,
हर माँ-बाप………………………..
सबकी कटोरी में Placement का सिक्का कैसे आए?
Displacement से बेहतर है, M.B.A. में घुस जाएं।
नोंक जिनकी अब भी हो Sharp, MTech में रंग जमायेंगे,
सब बाकी ठहरे कम से कम Engineer तो कहलायेंगे।
बन्नी है Engineering, Science वाला बन्ना है,
हर माँ-बाप………………………..
Engineering करि-करि जग मुआ Successful भया न कोए,
मन से काज जो भी किया सफलता चरणम् धोए।
हो Engineer सा हुनर तो ही इस ओर आना,
सिर्फ Degree वाले Engineer बन मत देश का नाम डुबाना,
जैसी प्रतिभा हो, वैसा ही अब बनना है।
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