Hasya Kavita
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काका हाथरसी के हास्य संग्रह से एक और बेहतरीन रचना. फैशन की नई दुनिया को काका जी ने बहुत अच्छी तरह से अपने शब्दों में पिरोया है. काका हाथरसी के हास्य रस का मजा ही कुछ और है…
न्यू फैशन की लूट है, लूट सके तो लूट
अंतकाल पछ्ताएगा, प्राण जाएंगे छूट
प्राण जाएंगे छूट, धूल अक्कल की झाड़ो
तंग सिलाओ सूट, पुराने फेंको फाड़ो
कहं ‘काका’, फैशन-सरिता में बहना सीखो
पूर्ण नहीं तो अर्धनग्न ही रहना सीखो।
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बिना टिकिट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर
जहाँ ‘ मूड ’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
पकड़ें टी . टी . गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार ब ढ़ा दिन – दूना
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना
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