Menu
blogid : 4683 postid : 55

दीपक भारतदीप की हास्य कविता – आला रे आला

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

दीपक भारतदीप की इससे पहले हमने जो हास्य कविता दी थी वह आप लोगों को बहुत पसंद आई. आजकल हर तरफ क्रिकेट का बुखार छाया हुआ है सो हम लेकर आए हैं एक हास्य कविता क्रिकेट को लेकर.


yuvrajpontingखेल क्रिकेट का


पांच दिन से एक दिन
अब क्रिकेट खेल के रह गये बीस ओवर
बाजार में देश प्रेम की भावनाओं का
भुनाते ख़ूब चला व्यापार
लोगों के दिल में हो गया ओवर
बरसों तक टीवी को देख आखें सडाईं
रेडियो में कान लगाकर सुखाये
हार पर मन ही मन आंसू बहाए
अब तो मर गया शौक़
यह लगे  जब   इल्जाम असली खिलाड़ी तो हैं
क्रिकेट से कमाने वाले ब्रोकर
हम तो बन गये ख्वाख्वाह में जोकर
सच या झूठ क्या है कोई नहीं जानता
पर व्यापार तो चलते हैं साख पर
लोगों की भावनाओं को भुनाकर

उसमें हो गये क्रिकेट के पूरे ओवर
—————————–

सिक्सर कौन लगाता है
फ़ॉर कौन बचाता है
सेंचुरी किसकी पूरी होगी
कौन निन्यानवे के फेर में फसेगा
मैदान पर तय होगा या बाहर
कौन कह सकता है
क्रिकेट को कहा जाता है
अनिश्चतताओं का खेल
परदे पर क्या है
मैदान पर क्या
यह तो दिख जाता है
पर उसके पीछे क्या होगा
कौन कह सकता है

[Hindi kavita poem, Hindi comedy jokes gags, Hindi hasya kavita poem, Hindi comedy literature sahitya wangmay, Hindi chutkule latife latiphe,]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh