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काका हाथरसी की हास्य कविता : मूर्खिस्तान जिंदाबाद (Hasya Kavita in Hindi)

Hasya Kavita
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bouncing_clownहास्य कवि काका हाथरसी की हास्य कविता “मूर्खिस्तान” हमें एक ऐसी दुनिया की सैर कराती है जहां ना आतंकवाद है ना ही कोई अन्य जुर्म. मूर्खिस्तान का हास्य कवि काका हाथरसी ने ऐसा वर्णन किया है कि मन करता है हम भी इस मूर्खिस्तान के एक वासी बनकर रह जाएं. आइयें आप भी इस हास्य कविता (Hasya Kavita) का आनंद लीजिए.


मूर्खिस्तान जिंदाबाद


स्वतंत्र भारत के बेटे और बेटियो !
माताओ और पिताओ,
आओ, कुछ चमत्कार दिखाओ।
नहीं दिखा सकते ?
तो हमारी हाँ में हाँ ही मिलाओ।


हिंदुस्तान, पाकिस्तान अफगानिस्तान
मिटा देंगे सबका नामो-निशान
बना रहे हैं-नया राष्ट्र ‘मूर्खितान’
आज के बुद्धिवादी राष्ट्रीय मगरमच्छों से
पीड़ित है प्रजातंत्र, भयभीत है गणतंत्र


इनसे सत्ता छीनने के लिए
कामयाब होंगे मूर्खमंत्र-मूर्खयंत्र
कायम करेंगे मूर्खतंत्र।


हमारे मूर्खिस्तान के राष्ट्रपति होंगे-
तानाशाह ढपोलशंख
उनके मंत्री (यानी चमचे) होंगे-
खट्टासिंह, लट्ठासिंह, खाऊलाल, झपट्टासिंह


रक्षामंत्री-मेजर जनरल मच्छरसिंह
राष्ट्रभाषा हिंदी ही रहेगी, लेकिन बोलेंगे अँगरेजी।
अक्षरों की टाँगें ऊपर होंगी, सिर होगा नीचे,
तमाम भाषाएँ दौड़ेंगी, हमारे पीछे-पीछे।


सिख-संप्रदाय में प्रसिद्ध हैं पाँच ‘ककार’-
कड़ा, कृपाण, केश, कंघा, कच्छा।
हमारे होंगे पाँच ‘चकार’-
चाकू, चप्पल, चाबुक, चिमटा और चिलम।


इनको देखते ही भाग जाएँगी सब व्याधियाँ
मूर्खतंत्र-दिवस पर दिल खोलकर लुटाएँगे उपाधियाँ
मूर्खरत्न, मूर्खभूषण, मूर्खश्री और मूर्खानंद।


प्रत्येक राष्ट्र का झंडा है एक, हमारे होंगे दो,
कीजिए नोट-लँगोट एंड पेटीकोट
जो सैनिक हथियार डालकर
जीवित आ जाएगा


उसे ‘परमूर्ख-चक्र’ प्रदान किया जाएगा।
सर्वाधिक बच्चे पैदा करेगा जो जवान
उसे उपाधि दी जाएगी ‘संतान-श्वान’
और सुनिए श्रीमान-


मूर्खिस्तान का राष्ट्रीय पशु होगा गधा,
राष्ट्रीय पक्षी उल्लू या कौआ,
राष्ट्रीय खेल कबड्डी और कनकौआ।


राष्ट्रीय गान मूर्ख-चालीसा,
राजधानी के लिए शिकारपुर, वंडरफुल !
राष्ट्रीय दिवस, होली की आग लगी पड़वा।


प्रशासन में बेईमान को प्रोत्साहन दिया जाएगा,
ईमानदार सुर्त होते हैं, बेईमान चुस्त होते हैं।
वेतन किसी को नहीं मिलेगा,
रिश्वत लीजिए,
सेवा कीजिए !


‘कीलर कांड’ ने रौशन किया था
इंगलैंड का नाम,
करने को ऐसे ही शुभ काम-
खूबसूरत अफसर और अफसराओं को छाँटा जाएगा
अश्लील साहित्य मुफ्त बाँटा जाएगा।


पढ़-लिखकर लड़के सीखते हैं छल-छंद,
डालते हैं डाका,
इसलिए तमाम स्कूल-कालेज
बंद कर दिए जाएँगे ‘काका’।
उन बिल्डिगों में दी जाएगी ‘हिप्पीवाद’ की तालीम


उत्पादन कर से मुक्त होंगे
भंग-चरस-शराब-गंजा-अफीम
जिस कवि की कविताएँ कोई नहीं समझ सकेगा,


उसे पाँच लाख का ‘अज्ञानपीठ-पुरस्कार मिलेगा।
न कोई किसी का दुश्मन होगा न मित्र,
नोटों पर चमकेगा उल्लू का चित्र !


नष्ट कर देंगे- धड़ेबंदी गुटबंदी, ईर्ष्यावाद, निंदावाद। मूर्खिस्तान जिंदाबाद !


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