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दिल्ली में इन दिनों सूर्य देवता ने अपना अनोखा प्रकोप ढ़ा रखा है, जनाब को पता नहीं क्या हो गया है अपनी सारी ऊर्जा इस बेचारी राजधानी पर खर्च किए जा रहे हैं. और तो और यह तो अब बारिश भी नहीं आने दे रहे हैं.
अब एक महाशय दिल्ली घुमने आए और दिल्ली की गर्मी से इतने परेशान हुए कि उनकी हालत सुनकर मुझे एक हास्य कविता याद आई जो दिल्ली की गर्मी को बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शित करती है.
दिल्ली की गर्मी
दिल्ली की जो गर्मी है
कुछ कर ही नहीं पाएंगे आप
एसी कूलर चला के रखिये
वर्ना उड़ जाएंगे बन के भाप!
पानी की भी किल्लत है
बिजली तो अक्सर जाती है
सूरज आग उगलता है
दिल्ली बहुत सताती है!
पसीना टप-टप चूता है
बदन से आग निकलता है
मई – जून का महिना तो
दिल्ली में काफी खलता है!
जब कपडे गीले हो जाते हैं
मन गुस्से में झल्लाता है
ब्लू लाइन बस में बैठे-बैठे
बारिश की आस लगाता है!
गलती से जो गर्मी में
कभी बारिश हो जाती है
कसम से हर दिल्लीवासी को
बहुत राहत पहूँचाती है!
पिछले जनम में दिल्ली ने
जाने क्या किए थे पाप
कि भगवान ने गुस्से में दिया
ऐसी भयानक गर्मी का श्राप!
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