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आजकल हर तरफ आपको दो तरह के टिप्स बहुत ज्याद देखने को मिलेंगे एक डेटिंग टिप्स और दूसरा डायटिंग टिप्स. किसी भी वेबसाइट को खोलकर देख लो या किसी भी न्यूजपेपर या मैग्जीन को देख लो किसी ना किसी पेज पर तो आपको डायटिंग के चर्चे देखने को मिल ही जाएंगे. छरहरे बदन की चाह रखने वालों की बढ़ती संख्या ने मोटे लोगों को भी पतला होने पर विवश कर दिया है क्यूंकि कई जगह अब मोटा होने पर टैक्स जो लगने लगा है.
वैसे मोटा होना या पतला होना पूरी तरह अपने ही हाथ में होता है. जैसा खाओगे वैसा बनोगे. हां, कभी-कभी यह हमारे नियंत्रण में नहीं होता लेकिन अगर मन में चाह हो तो कोई भी ‘परफेक्ट फीगर’ का मालिक बन सकता है.
उपरोक्त बातों को ही ध्यान में रखकर एक हास्य कवि मजाल जी ने एक बाल हास्य कविता “मोटूराम” लिखी है.
हास्य कविता : मोटूराम
मोटूराम ! मोटूराम !
दिन भर खाते जाए जाम,
पेट को न दे जरा आराम,
मोटूराम ! मोटूराम !
स्कूल जो जाए मोटूराम,
दोस्त सताए खुलेआम,
मोटू, तू है तोंदूराम !
हमारी कमर, तेरा गोदाम !
तैश में आएँ मोटूराम !
भागे पीछे सरेआम,
पर बाकी सब पतलूराम !
पीछे रह जाएँ मोटूराम !
रोते घर आएँ मोटूराम,
सर उठा लें पूरा धाम,
माँ पुचकारे छोटूराम,
मत रो बेटा , खा ले आम !
जब जब रोतें मोटूराम,
तब तब सूते जाए आम,
और करें कुछ, काम न धाम,
मुटियाते जाएँ मोटूराम !
एक दिन पेट में उठा संग्राम !
डाक्टर के पास मोटूराम,
सुई लगी, चिल्लाए ‘ राम’ !
‘ राम, राम ! हाए राम !’
तब जाने सेहत के दाम,
अब हर रोज़ करें व्यायाम,
धीरे धीरे घटा वज़न,
पतले हो गए मोटूराम !
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