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अभी कल ही हमारे दोस्त श्री सन्नी जी मिले. भाई साहब की शादी होने वाली है. सो हमने पूछा कि भाभी कैसी चाहिए आपको जनाब. तो जानते हैं उन्होंने क्या जवाब दिया. उन्होंने कहा चाहे बीवी कैसी भी हो मुझे तो एक साली जरूर चाहिए. हमने पूछा कि भला साली में ऐसा क्या है जो बीवी में नहीं तो वह बैठ गए पूरी “साली के फायदे” की दुकान लेकर.
आप जानना चाहेगें साली के फायदे. तो पढ़िए इस बेहतरीन हास्य कविता को.
भगवान मुझे इक साली दो !
तुम श्लील कहो, अश्लील कहो
चाहो तो खुलकर गाली दो !
तुम भले मुझे कवि मत मानो
मत वाह-वाह की ताली दो !
पर मैं तो अपने मालिक से
हर बार यही वर माँगूँगा-
तुम गोरी दो या काली दो
भगवान मुझे इक साली दो !
साधारण या कि निराली दो,
चाहे बबूल की टहनी दो
चाहे चंपे की डाली दो।
पर मुझे जन्म देने वाले
यह माँग नहीं ठुकरा देना-
असली दो, चाहे जाली दो
भगवान मुझे एक साली दो।
जिसमें मुख पर लाली न हुई,
अलकें घूँघरवाली न हुईं
आँखें रस की प्याली न हुईं।
वह जीवन भी क्या जीवन है
जिसमें मनुष्य जीजा न बना,
वह जीजा भी क्या जीजा है
जिसके छोटी साली न हुई।
लेकिन थाली की और बात,
तुम रहो फेंकते भरे दाँव
लेकिन खाली की और बात।
तुम मटके पर मटके पी लो
लेकिन प्याली का और मजा,
पत्नी को हरदम रखो साथ,
लेकिन साली की और बात।
साली सर्वांगिण होती है,
पत्नी तो रोती ही रहती
साली बिखेरती मोती है।
साला भी गहरे में जाकर
अक्सर पतवार फेंक देता
साली जीजा जी की नैया
खेती है, नहीं डुबोती है।
पी का संदेश सुनाती है,
भोंदू पत्नी को साली ही
करना शिकार सिखलाती है।
दम्पति में अगर तनाव
रूस-अमरीका जैसा हो जाए,
तो साली ही नेहरू बनकर
भटकों को राह दिखाती है।
साली है चम-चम तारा-सी,
साली है बुलबुल-सी चुलबुल
साली है चंचल पारा-सी ।
यदि इन उपमाओं से भी कुछ
पहचान नहीं हो पाए तो,
हर रोग दूर करने वाली
साली है अमृतधारा-सी।
बुर्के की चौड़ी जाली है,
पीने वालों को ज्यों अखरी
टेबिल की बोतल खाली है।
चाऊ को जैसे च्याँग नहीं
सपने में कभी सुहाता है,
ऐसे में खूँसट लोगों को
यह कविता साली वाली है।
साली क्या है रसगुल्ला है,
साली तो मधुर मलाई-सी
अथवा रबड़ी का कुल्ला है।
पत्नी तो सख्त छुहारा है
हरदम सिकुड़ी ही रहती है
साली है फाँक संतरे की
जो कुछ है खुल्लमखुल्ला है।
बातों की चाट जगाती है,
साली है दिल्ली का लड्डू
देखो तो भूख बढ़ाती है।
साली है मथुरा की खुरचन
रस में लिपटी ही आती है,
साली है आलू का पापड़
छूते ही शोर मचाती है।
किसलिए अग्नि ने छार किया ?
या क्यों ब्रिटेन के लोगों ने
अपना प्रिय किंग उतार दिया ?
ये दोनों थे साली-विहीन
इसलिए लड़ाई हार गए,
वह मुल्क-ए-अदम सिधार गए
यह सात समुंदर पार गए।
किसलिए विनोबा गाँव-गाँव
यूँ मारे-मारे फिरते थे ?
दो-दो बज जाते थे लेकिन
नेहरू के पलक न गिरते थे।
ये दोनों थे साली-विहीन
वह बाबा बाल बढ़ा निकला,
चाचा भी कलम घिसा करता
अपने घर में बैठा इकला।
जीवन ठाली-सा लगता है,
सालों का जीजा जी कहना
मुझको गाली सा लगता है।
यदि प्रभु के परम पराक्रम से
कोई साली पा जाता मैं,
तो भला हास्य-रस में लिखकर
पत्नी को गीत बनाता मैं?
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