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गांधी, मत आना: हास्य कविता (व्यंग्य)

Hasya Kavita
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mahatma gandhiआजकल देश का जो हाल हो रहा है उसे देख कर नहीं लगता कि कभी इस देश में गांधी जी जैसे महापुरुष हुए थे जिन्होंने देश में राम-राज का सपना देखा था. गांधी जी देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं लेकिन यह सच है कि जिस गांधी जी को नोट पर बने हुए हम देखते हैं और जिसे हम अपने घर की दिवारों पर टांगते हैं दोनों के मतलब अलग हैं. एक तस्वीर के सामने तो हम अहिंसा का प्रण लेते हैं पर नोट पर बने गांधी के फोटो के लिए हम किसी दूसरे को मारने तक की हिमाकत कर बैठते हैं.


गांधी के देश में गांधीवादी बने लोग “चांटा मारा??? एक ही मारा??” जैसे वाक्य बोलते हैं और सीना ठोंक कर खुद को गांधीवादी कहते हैं. ऐसे हालात देखकर तो लगता है अगर आज गांधी होते तो लोग उन्हें भी बेचकर खा जाते. इसी संदर्भ में एक हास्य कवि ने बडी ही बेहतरी हास्य कविता लिखी है जिसे पढ़ वाकई मन प्रफुल्लित हो उठा.


तो चलिए पढ़ते हैं एक हास्य कविता “गांधी, मत आना”..


गांधी, मत आना

अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना
सत्य, अहिंसा खोए अब तो खेल हुआ गुंडाना।

आज विदेशी कंपनियों का है भारत में ज़ोर
देशी चीज़ें अपनाने का करोगे कब तक शोर
गली-गली में मिल जाएँगे लुच्चे, गुंडे, चोर
थाने जाते-जाते बापू हो जाओगे बोर
भ्रष्टाचारी नेताओं को पड़ेगा पटियाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


डी.टी.सी. की बस में धक्का कब तक खाओगे
बिजली वालों से भी कैसे जान बजाओगे
अस्पताल में जाकर दवा कभी न पाओगे
लाठी लेकर चले तो ‘टाडा’ में फँस जाओगे
खुजली हो जाएगी जमुना जी में नहीं नहाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


स्विस बैंकों में खाता होना बहुत ज़रूरी है
गुंडों से भी नाता होना बहुत ज़रूरी है
घोटालों के बिना देश में मान न पाओगे
राष्ट्रपिता क्या, एम.एल.ए. भी ना बन पाओगे
‘रघुपति राघव’ छोड़ पड़ेगा ‘ईलू ईलू’ गाना
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


खादी इतनी महँगी है तुम पहन न पाओगे
इतनी महंगाई में कैसे घर बनवाओगे
डिग्री चाहे जितनी हों पर काम न पाओगे
बेकारी से, लाचारी से तुम घबराओगे
भैंस के आगे पड़े तुम्हें भी शायद बीन बजाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


संसद में भी घुसना अब तो नहीं रहा आसान
लालकिले जाओगे तो हो जाएगा अपमान
ऊँची-ऊँची कुर्सी पर भी बैठे हैं बैईमान
नहीं रहा जैसा छोड़ा था तुमने हिंदुस्तान
राजघाट के माली भी मारेंगे तुमको ताना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


होंठ पे सिगरेट, पेट में दारू हो तो आ जाओ
तन आवारा, मन बाज़ारू हो तो आ जाओ
आदर्शों को टाँग सको तो खूंटी पर टाँगो
लेकर हाथ कटोरा कर्जा गोरों से माँगो
टिकट अगर मिल जाए तो तुम भी चुनाव लड़ जाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।


अगर दोस्ती करनी हो तो दाउद से करना
मंदिर- मस्जिद के झगड़े में कभी नहीं पड़ना
आरक्षण की, संरक्षण की नीति न अपनाना
चंदे के फंदे को अपने गले न लटकाना
कहीं माधुरी दीक्षित पर तुम भी न फ़िदा हो जाना।
अब देश में गांधी, मत आना, मत आना, मत आना।


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