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अब क्या बताए जब से हमारे एक दोस्त नेता हुए हैं एक नंबर के झुठे हो गए है. एक समय था जब भाई शर्मा जो आजकल लोकल एमएलए की चापलूसी करके अपनी पार्टी का नया प्रत्याशी बना है वह कभी स्कूल में हरीशचंद का रोल करता था नाटक में. लेकिन आज तो उसने झुठ बोलने में मिसेज कौशिश की लवली बहू का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
अभी कल ही की बात है जनाब हमारे साथ घूम रहे थे कि इतने मॆं एक मोहतरमा आई और उन्हें नमस्ते करके चली गई. पूछने पर बोले मुहंबोली बहन है. लेकिन हम तो जानते थे भैया मैटर कुछ और है. अब उनकी इस स्थिति पर हमें प्रसिद्ध कवि हास्य कवि काका हाथरसी की एक कविता याद आई है जिसे मैं यहां दे रहा हूं.
हास्य कवि हाथरसी की प्रेमिका को सिस्टर बता गए:
सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए।
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये।
सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का।
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये ।
अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर।
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये ।
भूंखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे ।
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये ।
जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा ।
मारी छलांग खाई से “आई“ में आ गये ।
करते रहो आलोचना देते रहो गाली
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए ।
काका ने पूछा ‘साहब ये लेडी कौन है’
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए।।
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