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HASYAKAVITA IN HINDI शादियों का साइड इफेक्ट: हास्य कविता

Hasya Kavita
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इन दिनों जहां देखो वहीं शादियों का माहौल है. सड़क़ें और पार्क शादियों के लिए बुक हुए मानो पड़ते हैं. हालांकि शादी का लड्डु सबके लिए मिठा होता है या नहीं यह तो सब जानते हैं पर इस लड्डू को सभी खाने के लिए ललायित रहते हैं. कई लेखकों के तो शब्दों में रंग शादी के बाद ही आता है. अब हमारे तिवारी साहब को ले लीजिएं जो शादी के बाद हास्य कवि बन गए हैं. आइयें जानें आखिर कैसे बने हास्यकवि :


मैं बन गया हास्य कवि : हास्यकविता


Fox_cooksमेरा हास्य कवि बनना एक हादसा था

बस में एक मैडम जी से पड़ गया वास्ता था

बात उन दिनों कि है जब मैं कवांरा

लोगों की नजर में मैं एक आवांरा था….


लेकिन मुझे तो लैला मजनू के प्यार की खोज थी

गलि से लेकर बस स्टैंड में रोज थी

ऐसे में एक दिन एक मैंडम जी मुझसे बस में टकरायीं

मेरे रोम- रोम में करेंट समायी…


और मन में विचार कौंधा कि

मेरा थोबड़ा उन्हें भा गया है क्या भाई

फिर मैंने उनपर थोड़ी सी और नजर गड़ायी

अबकी बार वे थोड़ी सी षरमायी…


लड़की हंसी तो पटीवाली बात मुझे याद आयी

फिर मोबाइल पर वे कुछ अंग्रेजी में गिटपिटाईं

जो बात मेरे भेजे में नहीं समायी

फिर मुसटंडो की जमात आयी…


जी भर के उन सबों ने मेरी की पिटायी

और मुंह पर कालीख पोतकर

गदहा पर मेरी बारात निकलवायी

और गदहे को गदहा पर देखकर…


गदहों ने जी भर कर ताली बजायी

इस प्रकार मैं हास्य कवि बन गया मेरे भाई।

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