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आजकल आशिकी और मोबाइल एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं. जहां देखों लड़के-लड़की हाथ में मोबाइल लेकर अपने प्रेम का प्रदर्शन करते फिरते हैं. हाथ में मोबाइल अब लोगों का स्टेटस बन गया है. प्यार की डींगे हांकएन वाले तो इस यंत्र के सहारे ही अपने प्रेम की नैया को किनारे लगाने के ख्वाब देखते हैं.
खैर यह तो हुआ मोबाइल का गुणगान लेकिन यह आशिकों को ही पता है कि यह मोबाइल कितना महंगा पड़ता है. बंदी की एक एक मिस कॉल पर सौ सौ रुपए का बैलेंस स्वाहा हो जाता है. अब इस महंगाई में मोबाइल की मार को माशुका क्या समझे. कई आशिकों का तो मानना है कि काश वही लव लेटर वाला सीजन वापस आ जाता तो कसम से बैंक बैलेंस में अच्छी खासी वृद्धि हो जाती. चलिए एक हास्य कविता पढ़ते हैं जो कवि दीपक जी की है जो ग्वालियर के हैं. 😆
लड़की, आशिकी और मोबाइल: हिन्दी हास्य कविता (Hindi Hasya Kavita )
माशुका ने आशिक से कहा
“इस वेलेंटाइन डे पर
मुझे नया मोबाइल लाकरदेना,
देखना नए मॉडल का हो
किसी अच्छी दुकान से लेना,
पिछली बार वेलेंटाइनडे पर
जो तुमने यह मोबाइल दिया था,
लगता है फुटपाथ से लिया था,
मेरी चेतावनी अपनेध्यान में रखना,
वरना पड़ेगा मज़ा चखना।”
सुनकर सकपकाया आशिक
फी रूआँसा होकर बोला
“लगता है यह वेलेंटाइन डे
मेरे शुभ को अशुभ करने आया है,
मैं तुम्हारा पहला प्यार हूँ
यह तुमने मेरे प्रेम पत्र के जवाब में बताया है,
हमारी प्रेम की पींगे केवल चार माह पुरानी है,
अभी तो मेरी पहले गिफ्ट तुम्हारे पास आनी है,
यह पिछले साल के आशिक का तोहफा
तुम्हें मेरा कैसे नज़र आया,
उस मासूम को तुमने कैसे भुलाया,
अच्छा हुआ तुमने मुझे बता दिया
अब मुझे तुमसे कोई संबंध नहीं रखना।”
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
हास्यकविता
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