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HASYA KAVITA IN HINDI: हिन्दी बनाम अंग्रेजी: एक “गंभीर” हास्य कविता

Hasya Kavita
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हिन्दी हास्य कविता

आज हम अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी को वह सम्मान नहीं देते जो सम्मान हमारे दिल में “अंग्रेजी” के लिए होती है. अंग्रेजी को हम पेशन, जुनून और स्टाइल का अवतार मानते हैं तो हिंदी हमें गंवारों और गांवो की भाषा लगती है. अंग्रेजी सिखने के लिए हम 1000 से 5000 रुपए तक आराम से खर्च कर देत हैं लेकिन हिंदी सिखने के लिए कभी कोई ट्यूशन नहीं लेता, उलटा लोग कहते हैं हिंदी भी क्या सिखना इतनी तो आसान है. लेकिन जनाब एक बार हिंदी के सागर में गोता लगाकर देखिए इसकी विशालता में डर भी लगेगा और आनंद भी आएगा. इससे आसान कोई भाषा नहीं है. इसका व्याकरण भी अंग्रेजी के व्याकरण की तरह असीम और बहुत बड़ा है.


Hasyakavita in hindi

और इस जागरण जंक्शन के मंच पर सभी पाठकों से आग्रह करूंगा कि हिन्दी की प्रंशंसा में दो शब्द जरूर लिखें.


हिन्दी बनाम अंग्रेजी एक हास्य कविता : Hindi Hasyakavita

हिन्दी माता को करें, काका कवि डंडौत,

बूढ़ी दादी संस्कृत, भाषाओं का स्त्रोत।

भाषाओं का स्त्रोत कि ‘बारह बहुएँ’ जिसकी

आंख मिला पाए उससे, हिम्मत है किसी?


ईष्या करके ब्रिटेन ने इक दासी भेजी,

सब बहुओं के सिर पर चढ़ बैठी अंगरेजी।

गोरे-चिट्टे-चुलबुले, अंग-प्रत्यंग प्रत्येक,

मालिक लट्टू हो गया, नाक-नक्श को देख।


नाक-नक्श को देख, डिग गई नीयत उसकी,

स्वामी को समझाए, भला हिम्मत है किसकी?

अंगरेजी पटरानी बनकर थिरक रही है,

संस्कृत-हिन्दी, दासी बनकर सिसक रही हैं।


परिचित हैं इस तथ्य से, सभी वर्ग-अपवर्ग,

सास-बहू में मेल हो, घर बन जाए स्वर्ग।


घर बन जाए स्वर्ग, सास की करें हिमायत,

प्रगति करे अवरुद्ध, भला किसकी है ताकत?

किन्तु फिदा दासी पर है, ‘गृहस्वामी’ जब तक,

इस घर से वह नहीं निकल सकती तब तक।




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