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आरती इक्कीसवीं सदी की: hasyakavita in hindi

Hasya Kavita
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आज हम जिस सदी में जी रहे हैं उसे कलयुग कहते हैं. कहने में तो यह इस काल का सबसे खराब समय माना जाता है लेकिन इसे खराब तो हम ही बनाते हैं ना. तो चलिएं एक नजर डालते हैं इक्कीसवीं सदी की हास्य कविता पर :


इक्कीसवीं सदी, मेरी मइया इक्कीसवीं सदीऽऽ,
तरस रहे तेरे स्वागत को ताल-तलैया-नदी।



हत्या-हिंसा-नफरत के आँसू बहते जिनमें,
तुम आओ तब, होय प्रवाहित अमृतरस उनमें।



होय बुढ़ापा दूर, जवानी सन-सन सन्नाए।


नई उमर की नई फसल की, काकी ले आएँ।


काव्य-मंच पर श्रीदेवी-जैसे मारें ठुमके।


तीन ग़ज़ल, दो गीत नए काका से ले लेंगी,
कवयित्री बनकर, लाखों के नोट बटोरेंगी।


सफल होय परिवार-नियोजन, नींद आए अच्छी
फिर भी बालक चाहें, तो विज्ञान मदद देगा,
कम्प्यूटर का बटन दबाओ, बच्चा निकलेगा।


चाहो जितने जमा करो, दो नंबर के पैसे।


मार-मारकर सर, सब आई.टी.ओ.थक जाएँ।


यह आरती अगर लक्ष्मी का उल्लू भी गाए,


प्रधानमंत्री का पद उसे फटाफट मिल जाए।

Hasya Kavita (Funny Hindi Poem)

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