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काका हाथरसी हास्यकविता के महारथी माने जाते हैं. काका हाथरसी ने व्यवस्था पर चोट करके बहुत सी बेहतरीन हास्यकविताएं लिखी हैं. उन्हीं की कुछ बेहतरीन कविताओं में से एक हाजिर है आपकी सेवा में. यह हास्यकविता उन्होंने बहुत पहले लिखी थी लेकिन आज के समय में भी यह कवित व्यवस्था पर बहुत तेज आघात पहुंचाती है. आज जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है वह वाकई आम आदमी के लिए मारक है.
काका हाथरसी की हास्यकविता: HINDI HASYA KAVITA
जन – गण – मन के देवता , अब तो आँखें खोल
महंगाई से हो गया , जीवन डाँवाडोल
जीवन डांवाडोल , ख़बर लो शीघ्र कृपालू
कलाकंद के भाव बिक रहे बैंगन – आलू
कहँ ‘ काका ‘ कवि , दूध – दही को तरसे बच्चे
बीस रुपये के किलो टमाटर , वह भी कच्चे
राशन की दुकान पर , देख भयंकर भीर
‘ क्यू ’ में धक्का मारकर , पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर , ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल , बू ढ़े , बच्चे , महिला
कहँ ‘ काका ‘ कवि , करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले – भागो , खत्म हो गया आटा
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