Menu
blogid : 4683 postid : 443

आशिक बेचारा: हास्यकविता हिन्दी में (Hasyakavita in hindi)

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

Hasyakavita in hindi

आशिकों की दुकान इन दिनों बहुत धीमी चल रही है क्यूंकि दोस्तों इस गर्मी में हसीनाएं घर से निकलने के लिए राजी नहीं होती. बस यही वजह है कि आजकल आशिक मोबाइल और एसएमएस के ही सहारे जी रहे है. इन्हीं आशिकों की मनोदशा दर्शाती एक बेहतरीन कविता.


Hasya Kavita in Hindi : आशिक था बेचारा (हास्यकवित)


आशिक था बेचारा

इश्क का मारा

समझता था खुद को

शाहरुख का साला

चेहरा था मासूम

हाथ अगरबत्ती

पैर मोमबत्ती

वज़न बीस किलो

पकड़ कर नहीं रखो तो

तेज़ हवा में उड़ जाए

कोई ऊंगली लगा दे

तो ज़ख़्मी हो जाए

गुस्सा इतना

कि आग भी शरमाए

जुबान गालियों से भरी

एक कन्या नज़र आयी

तो सीटी बजायी


फिर घूर कर देखने लगा

आशिकी

अंदाज़ में फिकरा कसा

चलती क्या खंडाला

कन्या ने पहले पुचकारा

फिर फुफकार कर बोली

पहले हाथ पैर सम्हाल


फिर हो जा नौ दो ग्यारह

नहीं तो बजाऊँगी बारह

आशिक था अकडा हुआ


अमचूर

जवाब में गाली बक दी

कन्या ने भी गाल पर

थप्पड़ जड़ दिया

आशिक बेचारा

चार फुट दूर उछल गया

बुक्का फाड़ कर रोने लगा


सारी हेकड़ी निकल गयी

कहने लगा बहना

मज़ाक कर रहा था

कन्या बोली

मैं नहीं कर रही थी

जब भी

मज़ाक का मन करे


मुझे बता देना

किसी कन्या को

छेड़ने से पहले

थोड़ी सेहत बना ले

रोज़ एक बादाम खा ले

आधा पाँव दूध पीले

अब जा कर आराम कर


माँ की गोद में सो ले

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh