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HASYA KAVITA IN HINDI
हिन्दी हास्यकविता के इस नए अंक में आप सभी का स्वागत है. आज के इस अंक में अपनी एक महिला मित्र सविता जी की कविता लेकर आया है. मोहतरमा को नारी सशक्तिकरण की बहुत ज्यादा चिंता रहती है. इसीलिए इन्होने सभी परेशानियों का अंत एक हास्यकविता में ढूंढ़ा. यह हास्यकविता पढ़कर आपको हंसी बेशक ना आए लेकिन हां आप गंभीर सोच में जरूर पड़ जाएंगे.
तो चलिए नजर डालते हैं इस हास्यकविता (HASYA KAVITA IN HINDI) पर: सविता जी की मांग
चैन से जीने के लिए जो सहनशीलता चाहिए
वह तो तुम में है ही नहीं तो कैसे जिओगे
तुम तो चाहते हो कि घर वाली बस
घर में पड़ी रहे एक वस्तु की तरह
ना बोले कुछ भी मूक-बधिर हो जाए
तुम गुलछर्रे उड़ाओ बाहर
पी-पा घर भी लाओ
ना बोले तो वह नाको चने चबवाओ
तुम चाहते हो हर वक्त अपनी मनमानी करो
घर बाहर रासलीला करो
और पत्नियों से कहो तुम मौन रहो
एक कोने में जैसे पड़ी हो बस यु ही पड़ी रहो |
पत्निया व्रत रहती है कि तुम्हारी उम्र बढे
तुम तो वह भी नहीं कर सकते
चाहते हो जल्दी मरे दूजी ला बैठाये
तुम्हे तो ना बच्चों की फिक्र है ना पत्नी की
फिर भी कहते फिरते हो कि चैन से नहीं जीते हो
क्या कहे …………….
पत्निया ने ही सर आँख चढ़ा रक्खा है
वर्ना सच में नहीं जी पाते चैन से
जैसे नहीं जीने देते पत्नियों को चैन से
खुद भी उसी तरह बेचैन रहते जैसे
पत्निया तुम्हारे लिए रहती है हर वक्त
ना समय से भोजन पाते ना कोई ख्याल रखता
हर चीज तुम्हे तुम्हारे हाथ में ले आ देता प्यार से
तुम्हारे घर लौटने की राह देखता
घर बाहर तुम्हारी लाठी बन तुम्हें
निकम्मा कर दिया है पत्नियों ने ही
पत्नियों के कारण ही सम्मान पाते हो इहलोक और परलोक में भी
फिर भी उन्ही को सरेआम यु कह बदनाम करते हो |
सविता की सुन लो यह आवाज ना
समझो नारियो को घर की सज्जा का सामान
वर्ना एक दिन पछताओगे जब नारी
दुर्गा रूप धर तुमसे लेने लगेगी इंतकाम |
HASYA KAVITA IN HINDI FOR LOVERS
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