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राम-राम जपना पराया माल: व्यंग्य (Hindi Hasya Kavita)

Hasya Kavita
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कल देशभर में रावण के अंत के प्रतीक में लोग दशहरा मनाएंगे. दशहरा पर्व के दौरान हम हर चीज याद करते हैं भगवान राम की लीला, रावण के साथ उनकायुद्ध सीता माता की कथा, हनुमान जी का पराक्रम लेकिन अंतिम समय में रावण के द्वारा बोले गए शब्दों की चापलुसी पर कभी भी किसी की निगाहें नहीं जाती. आज एक हास्यकवि ने रावण की चापलुता पर निगाहें मारी है.


Hasya Kavita in Hindi

सुनते हैं मरते समय

रावण ने राम का नाम जपा

इसलिये पुण्य कमाने के साथ

स्वर्ग और अमरत्व का वरदान पाया।


उसके भक्त भी लेते

राम का नाम पुण्य कमाने के वास्ते,

हृदय में तो बसा है सभी के

सुंदर नारियों को पाने का सपना

चाहते सभी मायावी हो महल अपना

चलते दौलत के साथ शौहरत पाने के रास्ते,

मुख से लेते राम का नाम

हृदय में रावण का वैभव बसता

बगल में चलता उसका साया।


पूरा जमाना बस यही चाहे

दूसरे की बेटी सीता जैसी हो

जो राजपाट पति के साथ छोड़कर वन को जाये।


मगर अपनी बेटी कैकयी की तरह राज करे

चाहे दुनियां इधर से उधर हो जाये।


सीता का चरित्र सभी गाते

बहू ऐसी हो हर कोई यही समझाये

पर बेटी को राज करने के गुर भी

हर कोई बताये।


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