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हिन्दी हास्य कविता
कल मेरे एक दोस्त ने मुझे एक बेहतरीन हास्यकविता भेजी, उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी.
मैं कभी बतलाता नहीं
पर तुझ से डरता हूँ मैं जान
यूं तो मैं,दिखलाता नहीं……
तेरी परवाह करता हूँ मैं मेरी जान
तुझे सब हैं पता, हैं न जान
तुझे सब हैं पता,,मेरी जान`……
बोझ इतना न लोदो मुझ पर
घर लॉट के भी आ ना पाऊँ जान
भेज इतना दूर मुझ को तू……
याद भी तुझको आ ना पाऊँ जान
क्या इतना बुरा हूँ मैं जान
क्या इतना बुरा मेरी
जब भी कभी नज़र मेरी किसी पे पड़े.
…..
जो ज़ोर से मन
में झूला झुलाती हैं जान
मेरी नज़र ढूंढें तुझे
सोचु यही तू कब आ के धमकेगी जान……
तुझसे मैं यह कहता नहीं
पर मैं सहम जाता हूँ जान
चेहरे पे आना देता नहीं
दिल ही दिल में घबराता हूँ जान……
तुझे सब है पता है ना जान
तुझे सब है पता मेरी जान
मैं कभी बतलाता नहीं
पर तुझ से डरता हूँ मैं जान……
यूं तो मैं,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं मेरी जान
तुझे सब हैं पता, हैं न जान
तुझे सब हैं पता,,मेरी जान……
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