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औरत है या फ़रिश्ता: हिन्दी हास्य कविता [HINDI HASYA KAVITA]

Hasya Kavita
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कल मैं यूं ही सुबह की धूप सेंकने बाहर बैठा था कि सामने वाले घर के शर्मा जी के सपुत्र आए और बोले अंकल ममी ने आपके लिए समोसे भेजे हैं. ममी… यह शब्द मुझे प्राचीन युनान के इतिहास से जुड़ा हुआ लगता है. जो मरे हुए लोगों को दफना देते थे. सभ्यता का ऐसा बिखराव देखकर मुझे बहुत अजीब लगा. तब मैंने अपने आसपास थोड़ा नजर डाला तो पाया कि आज मां, मम्मी, अम्मा जैसे शब्द महानगर के बच्चों की डिक्शनरी से पूरी तरह गायब हो चुके हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने एक हास्यकविता खोजी है और सोचा कि आप लोग भी इसे पढ़े.


हास्यकविता: मां की जगह ममी

तुलसी की जगह मनी  प्लांट ने ले ली

चाची की जगह आंट ने ले ली

पिता जी डैड हो गए

आगे और भी है आप तो अभी से ग्लैड

हो गए


भाई ब्रो हो गया बहन सिस हो गयी

दादा दादी की हालात तो टाय टाय फ़ीस हो गयी

टी वी की सास बहू का सांप नेवला का रिश्ता है

पता नहीं यह एकता कपूर औरत है या फ़रिश्ता है


जीती जागती माँ बच्चों के लिए मम्मी हो गयी

घर की रोटी अब अच्छी कैसे लगे 5 रूपए की मैगी

जो इतनी यम्मी हो गयी .


दिन भर बेटा सिर्फ चैटिंग ही नहीं करता

रात में मोबाइल पर सेटिंग भी करता है

लैला और मजनू के भूत भी पछताते हैं

क्योंकि उनके नाम अब सड़क किनारे नुक्कड़ पे पुकारा जाता है।


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