Menu
blogid : 4683 postid : 542

hindi hasya kavita – आशिकों के लिए खास हास्य कविता

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

श्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…



तुम एमए फर्स्ट डिवीज़न हो, मैं हुआ था मैट्रिक फेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…


तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूं,
तुम रबड़ी-खीर-मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूं…
तुम एसी घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूं,
तुम नई मारुति लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूं…
इस कदर अगर हम छिप-छिपकर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जाएंगे…
सब हड्डी-पसली तोड़ मुझे वह भिजवा देंगे जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…


तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूं गदहे की चाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हड़ताल प्रिये…
तुम हीरे-जड़ी तश्तरी हो, मैं एल्मुनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन-सूप-बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये…
तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूं कछुए की चाल प्रिये,
तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हूं बबूल की छाल प्रिये…
मैं पके आम-सा लटका हूं, मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…



मैं शनिदेव जैसा कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो,
मैं तन से मन से कांशी हूं, तुम महाचंचला माया हो…
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूं,
तुम राजघाट का शांतिमार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं…
तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफा अजंता की,
तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूं भगवंता की…
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…


तुम नई विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूं,
तुम एके-सैंतालिस जैसी, मैं तो एक देसी कट्टा हूं…
तुम चतुर राबड़ी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूं,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिड़ियाघर का भालू हूं…
तुम व्यस्त सोनिया गांधी सी, मैं वीपी सिंह सा खाली हूं,
तुम हंसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूं…
गर जेल मुझे हो जाए तो, दिलवा देना तुम बेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…



मैं ढाबे के ढांचे जैसा, तुम पांच-सितारा होटल हो,
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड लेबल की बोतल हो…
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूं,
तुम विश्व सुन्दरी सी महान, मैं तेली छाप कबाड़ी हूं…
तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूं घोंघा…
दस मंजिल से गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…



तुम जयाप्रदा की साड़ी हो, मैं शेखर वाली दाढ़ी हूं,
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो, मैं लल्‍लूलाल अनाड़ी हूं…
तुम जया जेटली-सी कोमल, मैं सिंह मुलायम-सा कठोर,
तुम हेमा मालिनी-सी सुंदर, मैं बंगारू की तरह बोर…
तुम सत्‍ता की महारानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूं,
तुम हो ममता-जयललिता-सी, मैं क्‍वारा अटल बिहारी हूं…
तुम संसद की सुंदरता हो, मैं हूं तिहाड़ की जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये…


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh