Menu
blogid : 4683 postid : 549

पति-पत्नी का भेद: हिन्दी हास्य कविता

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments



एक पति पत्नी जब शादी के रिश्ते में बंधते हैं तो उनके पास कई बंदिशे होती हैं जिनसे उन्हें पार पाना होता है. आज आए दिन पतियों द्वारा पत्नियों को जलाए जाने की खबरों से दुखी होकर मैंने एक ऐसी हास्य कविता का चयन किया है जो हमारे सिस्टम पर मार्मिक मार करती है. आप भी आनंद लें इस हास्यकविता का और बताएं कैसी लगी यह हास्यकविता.


पति-पत्नी का भेद: हिन्दी हास्य कविता

सारी रात प्रियतम हमरे ,

दिल लगाकर पीटे हमको ,

फर्श पोंछने का दिल होगा ,

चोटी पकड़ घसीटे हमको ,

गला दबाया प्यार से इतने ,

अँखियाँ जइसे लटक गयीं हो ,

गाली इतनी मीठी बांचे ,

शक्कर सुनकर झटक गयी हो ,

पिस्तौल दिखा रिकवेस्ट किये ,

हम और किसी को न बतलायें ,

हम मन में ये फरियाद किये ,

ये प्यार वो फिर से न दिखलायें | |


वो तो अपनी सारी चाहत ,

सिर्फ हमीं पर बरसाते थे ,

चाय से ले कर खाने तक की ,

तारीफें  मुक्कों से कर जाते थे ,

रोज रात को शयन कक्ष में ,

सुरपान नियम से करते थे ,

फिर देवतुल्य अपनी शक्ति का ,

हमें प्रदर्शन करते थे ,

कसम से इतने वीर थे वो कि ,

हम तुमको क्या-क्या बतलायें ,

बस मन में ये फरियाद किये ,

ये प्यार वो फिर से न दिखलायें | |


हम ही ससुरी पगली थीं ,

जो प्यार से उनके ऊब गयी थीं ,

उनके कोमल झापड़ की ,

उन झंकारों में डूब गयीं थीं ,

एक रोज हम दीवानी ने भी ,

अपना स्नेह ; उन पर लुटा दिया ,

उनके प्यारे मुक्के के बदले ,

उनको भी झापड़ जमा दिया ,

अब इतना सज्जन मानव आखिर ,

ये कैसे स्वीकार करे ,

उसके निस्वार्थ प्यार के बदले ,

पत्नी भी उसको प्यार करे ,

बस ठान लिया उसने मन में ,

हमको सर्वोच्च प्रेम-सुख देगा ,

हम मृत्यु-लोक(पृथ्वी) में भटक रही थीं ,


हमको परम मोक्ष वो देगा ,

गंगाजल का लिया कनस्तर ,

फिर हम पर बौछार कराई ,

गंगा इतनी मलिन थीं हमको ,

केरोसीन की खुशबू आई ,

फिर अंततयः उस पाक ह्रदय ने ,

शुद्ध अग्नि में हमें तपाया ,

हमरी अशुद्ध देह जलाकर ,


सोने जैसा खरा बनाया ,

अब भी जाने कितने दानव ,

पति-परमेश्वर कहलाते हैं ,

हम भी शक्ति-स्वरूपा हैं ,

ये जाने क्यूँ भुल जाते हैं ,


पति भी तो अर्द्धांग है अपना ,

फिर , उसको क्यूँ ईश्वर कहते हैं ,

वो अपना पालनहार नहीं है ,

फिर , चुप रहकर क्यूँ सब सहते हैं ,

वो सुबह न जाने कब होगी ,


जब नारी स्वतंत्र हो पाएगी ,

भेद मिटेगा पति-पत्नी का ,

और प्यार से न घबराएगी |


हिन्दी हास्य कविता, हास्यकविता हिन्दी में, हास्य कविता, पति पत्नी, Husband Wife Hindi Hasya kavita, hindi hasya kavita. HINDI HASYA KAVITA, hindi hasya kavita, hindi funny poem, funny poem in hindi

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh