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इश्क में तेरे : हास्य-कविता ( Hasya Kavita – Majaal )

Hasya Kavita
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हास्य-कविता ( Hasya Kavita – Majaal )



तुझे पाने की हसरत लिए,

हमें एक जमाना हो गया !

नयी नयी शायरी,

करते तेरे पीछे,

देख मैं शायर कितना,

पुराना हो गया !


मुए इस दिल को,

संभालना पड़ता है,

हर वक़्त !

दिल न हुआ गोया,

बिन पजामे का,

नाड़ा हो गया !


मरज में न फरक,

तोहफों में खरच अलग !

इलाज में खाली सारा,

अपना खज़ाना हो गया !


दिल दर्द से भरा,

और जेबें खाली !

ग़म ही इन दिनों,

अपना खाना हो गया !


मुद्दतें हो गयी ,

रोग जाता नहीं दिखता,

अस्पताल ही अब अपना,

ठिकाना हो गया !


तू भी तो बाज़ आ कभी ,

इश्कियापन्ती से ….

पागल भी देख तुझे,

कब का सयाना हो गया

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