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काका हाथरसी के हास्य दोहे

Hasya Kavita
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काका हाथरसी हिन्दी हास्यकविता के क्षेत्र में एक बहुत बडा नाम हैं. काम हाथरसी का संपूर्ण जीवन ही हास्य से भरपूर है. काका को ना सिर्फ अपनी कविताओं के लिए बल्कि अपनी क्षणिकाओं और हास्य दोहों के लिए भी याद किया जाता है. आइए आज पढ़े काका हाथरसी के बेहतरीन हास्य दोहे.


हास्य दोहे : Hasya Dohe

मेरी भाव बाधा हरो, पूज्य बिहारीलाल
दोहा बनकर सामने, दर्शन दो तत्काल।

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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अँग्रेजी से प्यार है, हिंदी से परहेज,
ऊपर से हैं इंडियन, भीतर से अँगरेज।


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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अँखियाँ मादक रस-भरी, गज़ब गुलाबी होंठ,
ऐसी तिय अति प्रिय लगे, ज्यों दावत में सोंठ।


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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अंतरपट में खोजिए, छिपा हुआ है खोट,
मिल जाएगी आपको, बिल्कुल सत्य रिपोट।

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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अंदर काला हृदय है, ऊपर गोरा मुक्ख,
ऐसे लोगों को मिले, परनिंदा में सुक्ख।

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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अंधकार में फेंक दी, इच्छा तोड़-मरोड़
निष्कामी काका बने, कामकाज को छोड़।

अंध धर्म विश्वास में, फँस जाता इंसान,
निर्दोषों को मारकर, बन जाता हैवान।


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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अंधा प्रेमी अक्ल से, काम नहीं कुछ लेय,
प्रेम-नशे में गधी भी, परी दिखाई देय।

अक्लमंद से कह रहे, मिस्टर मूर्खानंद,
देश-धर्म में क्या धरा, पैसे में आनंद।


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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अगर चुनावी वायदे, पूर्ण करे सरकार,
इंतज़ार के मज़े सब, हो जाएँ बेकार।

अगर फूल के साथ में, लगे न होते शूल,
बिना बात ही छेड़ते, उनको नामाकूल।

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हास्य दोहे : Hasya Dohe

अगर मिले दुर्भाग्य से, भौंदू पति बेमेल,
पत्नी का कर्त्तव्य है, डाले नाक नकेल।


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