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१९६४ से हिन्दी काव्य मंच पर प्रतिष्ठित। काकाहाथरसी पुरस्कार तथा हास्य रत्न की उपाधि से विभूषित।
अभी तो मैं जवान हूँ
ज़िन्दगी़ में मिल गया कुरसियों का प्यार है
अब तो पाँच साल तक बहार ही बहार है
कब्र में है पाँव पर
फिर भी पहलवान हूँ
अभी तो मैं जवान हूँ।
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मुझसे पहली-सी मुहब्बत
सोयी है तक़दीर ही जब पीकर के भांग
महँगाई की मार से टूट गई है टाँग
तुझे फोन अब नहीं करूँगा
पी.सी.ओ. से हांगकांग
मुझसे पहले सी मुहब्बत मेरे महबूब न माँग।
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ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर
तू पहले ही है पिटा हुआ ऊपर से दिल नाशाद न कर
जो गई ज़मानत जाने दे वह जेल के दिन अब याद न कर
तू रात फोन पर डेढ़ बजे विस्की रम की फरियाद न कर
तेरी लुटिया तो डूब चुकी ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर
VITA FUNNY, FUNNY POEM IN HINDI, HINDI KAVITA, ALHAD BIKANERI, हुल्लड़ मुरादाबादी
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