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चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई

Hasya Kavita
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दोस्तों की बंदगी बेहद अजीब होती है. दोस्ती जीवन का ऐसा रिश्ता होता है जिसके बारें में जितना कहा जाए कम ही होगा. दोस्ती के रिश्ते में ना सिर्फ इंसान बल्कि भगवान भी बंधे थे. कौन भूल सकता है कृष्ण और सुदामा की दोस्ती. दोस्ती के ऐसे ही खट्टे मिठे रिश्ते को बयां करती है यह हास्य कविता.


देखा तुझे तो रूह खुश हो गई,

एक कमी थी वो भी पुरी हो गई.

पागल हैं वो लोग जो कहते हैं की,

चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई..

तारीफ के काबील हम कहाँ

चर्चा तो आपकी चलती है

सब कुछ तो है आपके पास

बस सींग और पुँछ की कमी खलती है

इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो

इतना कातिल कैसे शर्मा लेते हो

एक बात बताओ दोस्त बचपन से ही कमीने हो

या सूरत ही ऐसी बना लेते हो

तुमसा कोई दूसरा जमीन पर हुआ

तो रब से सिकायत होगी….

एक तो झेला नही जाता

दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी….

खुदा करे तुम जिन्दगी में बहुत आगे बडो!!!

इतने आगे बडो की जिससे मिलो वो कहे

-ऐ बाबा चलो चलो आगे बडो..

मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करता……

मगर मुझे काम था……

मैं तुम्हारे लिए डूब के मरता……

मगर मुझे जुखाम था……

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