Menu
blogid : 4683 postid : 619

ससुर जी उवाच (Ashok Chakradhar Hasya Kavita in Hindi)

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

डरते झिझकते
सहमते सकुचाते
हम अपने होने वाले
ससुर जी के पास आए,
बहुत कुछ कहना चाहते थे
पर कुछ
बोल ही नहीं पाए।

वे धीरज बँधाते हुए बोले-
बोलो!
अरे, मुँह तो खोलो।

हमने कहा-
जी. . . जी
जी ऐसा है
वे बोले-
कैसा है?

हमने कहा-
जी. . .जी ह़म
हम आपकी लड़की का
हाथ माँगने आए हैं।

वे बोले
अच्छा!
हाथ माँगने आए हैं!
मुझे उम्मीद नहीं थी
कि तू ऐसा कहेगा,
अरे मूरख!
माँगना ही था
तो पूरी लड़की माँगता
सिर्फ़ हाथ का क्या करेगा?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh