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होली पर मजेदार हास्य व्यंग्य

Hasya Kavita
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आपने रंग को देखा होगा
आपने भंग को देखा होगा,
आपने रंग में भंग को भी देखा होगा
आज में होली की अपनी रंगबिरंगी रचनाओं
से आपको रंग में भीगा हास्य-व्यंग्य दिखाता हूं।

अर्ज है कि

(1) अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया

(2) हिन्दुस्तान का कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को भुलाना
बस दुश्मन को घेरना
और उसे रंग है लगाना

(3) एक पाकिस्तानी फौजी कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को निभाना
बस एक साइकिल एक टिफिन लेना
और उसमें बम लगाना

(4) होली के गेर में
सब हैं एक रंग
क्या अमीर क्या गरीब
सब हैं संग संग

(5) मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा

(6) अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा

(7) होली के रंग आज लगेंगे
कल उतर जाएंगे
मेरी मोहब्बत के रंग मगर
जिन्दगी भर साथ निभाएंगे

(8) आजकल की लड़कियां नहीं हैं रोती-धोती
खुले बालों में बदल चुकी हैं उनकी चोटी
लड़कों को बैखोफ सुना देती है खरी-खोटी
बड़ी-बड़ी सफलताएं भी उन्हें लगती हैं छोटी
सेलेरीज़ लेती हैं आजकल सभी मोटी-मोटी

(9) आपको रंगों से एलर्जी है
चलिए आपको रंग नहीं लगाएंगे
मगर साथ तो बैठिएगा
रंगीन बातों से ही होली मनाएंगे

(10) हम भी कभी युवा थे
अपने घने बालों पर मरते थे
सुबह, दोपहर-शाम
अपने बालों में कंघी करते थे
नित नई हेयर स्टाइल रखकर
सजते थे, संवरते थे,
फिर अपने सैकंड-हैंड स्कूटर पर
सवार होकर शहर भर में विचरते थे,

अब अपनी उम्र और अनुभव की सीख
नए युवाओं को यही बस यही सिखाती है
कि प्यारों जिन्दगी भर बालों के साथ
सारे प्रयोग करने के बाद
हर इंसान को अंत में मेरी यह डेविड छाप
सपाट हेयर स्टाइल ही पसन्द आती है।

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