Menu
blogid : 4683 postid : 623

कमाल का कव्वाल (kaka Hathrasi ki Hasyakavita)

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

मेरठ में हमको मिले धमधूसर कव्वाल
तरबूजे सी खोपड़ी, ख़रबूजे से गाल
ख़रबूजे से गाल, देह हाथी सी पाई
लंबाई से ज़्यादा थी उनकी चौड़ाई
बस से उतरे, इक्कों के अड्डे तक आये
दर्शन कर घोड़ों ने आँसू टपकाये
रिक्शे वाले डर गये, डील-डौल को देख
हिम्मत कर आगे बढ़ा, ताँगे वाला एक
ताँगे वाला एक, चार रुपये मैं लूँगा
दो फ़ेरी कर, हुज़ूर को पहुँचा दूँगा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh