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Hasyakavita in Hindi: बेचारे कवि के हाल

Hasya Kavita
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हँसमुखजी  खुद को
धुरंधर हास्य कवि समझते थे।


अफ़सोस मगर उनकी रचनाओं पर
खुद अधिक लोग कम हँसते थे।


एक बार कविता पाठ के अंत में
उन्होंने थके पिटे मुंह लटकाए


श्रोताओं से भावुकता में कह दिया
कविता पाठ समाप्त होने के बाद

आपकी ज़ोरदार तालियों ने
मुझे भाव विव्हल कर दिया

अगली बार मैं आपको
अधिक कवितायें सुनाऊंगा

बाल नोचते हुए एक श्रोता
पूरी ताकत से चिल्लाया

कवि महोदय लोग आपको नहीं
दूसरे कवियों को सुनने आते हैं

आपसे पीछा छूटने की ख़ुशी में
ज़ोरदार तालियाँ बजाते हैं

आपकी दो चार कवितायें भी
बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं

सुनते सुनते हँसने की जगह
रोने लगते हैं।


ज्यादा कवितायें सुनाओगे
तो दो चार लोग दुःख में,
आत्म ह्त्या कर लेंगे,
आप हास्य कवि के स्थान पर ,
मातमी कवि कहलाओगे।



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